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यहोवा अनुग्रहकारी और धर्मी है, और हमारा परमेश्वर दया करनेवाला है।(भजन संहिता 116:5)
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कोढ़ी को स्वास्थ्य लाभ (1:40-44)
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एक कोढ़ही ईसा के पास आया और घुटने टेक कर उन से अनुुुुनय - वििनय करते हुए बोला , आप चाहे तो मुझे शुद्ध कर सकते हैं।" ईसा को तरस आया ।उन्ह्हों ने हाथ बढ़ा कर यह कहते हुए उसका स्पर्श किया मै यही चाहता हूं- शुद्ध हो जाओ उसी समय उसका कोढ़ दूूर हो गया और वह शुुुद्ध हो गया, ईसा ने उसे यह कड़़ी चेतावनी देते हुए तुुुरंत विदा किया," सावधान" ! किसी से कुछ न कहो। जा कर अपने याजक को दिखाओ और अपने निर्धारित भेंट चढ़ा दो और जिससे आप का चंंगे होने का प्रामानित हो जायें ।
कोढ़ी को स्वास्थ्य लाभ (संत लूकस 5:12-14)
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किसी नगर में ईसा के पास एक मनुष्य आया, जिसका शरीर कोढ़ से भरा हुआ था। वह ईसा को देेेख कर मुुंह के बल गिर पड़ा और विनय करते हुए यह कहा "प्रभू ! आप चाहे तो मुझे शुद्ध कर सकते हैं। ईसा ने हाथ बढ़ा कर यह कहते हुए उसका स्पर्श किया, मै यही चाहता हूं- शुद्ध हो जाओ "। उसी घड़ी उसका कोढ़ दूर हो गया। ईसा ने उसे किसी से कुछ न कहने का आदेश दिया और कहा, "जा कर अपने को याजक को दिखाओ और अपने शुद्धिकरण के लिए मूसा द्वारा निर्धारित भेंट चढ़ा दो। जिसे तुम्हारा स्वास्थ्य लाभ प्रमाणित हो जाय।।
" बेथानिया में भोज" ( संत जोहन 12:1-8)
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ईसा मसीह लजरूस के घर गए थे जिसे उन्ह्हों नेेेे मरने के बाद पुुन जीवित किया था। वहां ईसा के आदर में एक भोज का आयोजन किया गया था। मार्था परोसती थी ,और ईसा के साथ भोजन करने में वालों लाजरस भी था। मरियम ने आधा सेेर असली जटामंझी का बहुुमूल्य इत्र ले कर ईसा के चरणों का विलोपन किया । और अपने बालों से उनके चरण पोंछ ली। इत्र की सुगनध से सारा घर महक उठा । इस पर ईसा का एक शिष्य, युदस इस्करियोटी, जो उनके साथ विश्वासघात करने वाला था, यह बोला, तीन सौ दीनार में बेच कर, इस इत्र की कीमत गरीबों में क्यों नहीं बांट दिए गए ? उसने यह इसलिए नहीं कहा कि उसे गरीबों की चिंता थी, बल्कि इसलिए कि वह चोर था। उसके पास थैली रहती थी, उस में वह भरता था। वह उसे निकल लेता था। ईसा ने कहा उसे छोड़ दो। इसने मेरे दफन के दिन की तैयारी में यह काम किया। गरीब तो हमेशा तुम्हारे साथ रहेंगे लेकिन मै तो हमेशा तुम्हारे साथ नहीं रहूंगा।
" विनम्रता" ( प्रवक्ता ग्रंथ 3:19-21)
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पुत्र ! नम्रता से अपना व्यवसाय करो और लोग तुम्हें दानशील व्यक्ति से भी अधिक प्यार करेंगे। तुम जितने अधिक बड़े हो उतने अधिक नम्र बनो। इस प्रकार तुम प्रभु के कृपा पात्र बन जाओगे। बहुत लोग घमंडी और ग्वाले हैं, किन्तु ईश्वर दोनों पर अपने रहस्य प्रकट करता है। प्रभु का सामर्थ्य अत्यधिक महान है, किन्तु वह विन्रम लोगों की श्रद्धांजलि स्वीकार करता है। ( आमीन)
(प्रेम की महानता) (1 कुरिं 13:4-7)
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प्रेम सहनशील और दयालु है। प्रेम न तो ईर्ष्या करता है, न डिंग मारता है, न घमंड करता है। प्रेम अशोभनीय व्यवहार नहीं करता। वह अपना स्वार्थ नहीं खोजता। प्रेम न तो झुंझलाता है और न बुराई का लेखा रखता है। वह दूसरों के पाप से नहीं, बल्कि उनके सदाचरण से प्रसन्न होता है। वह सब कुछ ढंक देता है। सब पर विश्वास करता है, सब कुछ की आशा करता है सब कुछ सह लेता है। अमीन
( ऊंचे स्वर्ग में प्रभु की महिमा हो)
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आइए, हम भी अपने ईसा मसीह की महिमा करें ,जिस ने आकााश और सारे जगत की रचना की है। अपने आपको और सारे जगत को उनके चरणों में समर्पित करें, कि हम भी राजकीय , पुरोहितों और नबियों कार्य्यकलाप में सहयोगी और सहभागी बन सकें । यीशु मसीह की दुख को याद कर उनका अनुसरण करें। सच मुच यीशु मसीह एक चिह्न थे , उनके शिष्य, उनके अनुगामियों और चेलों को भी अपनी- अपनी जिंदगी में मुश्किल और विरोधों का बार बार सामना करना पड़ता है। फिर भी हम उनके लिए दुहाई दें कि उन लोगों को भी प्रभु की शान्ति मिले और इस महामारी से मुक्ति मिले अमीन ।
(भटकी हुई भेड़)
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जो खोया गया था उसी को बचाने के लिए मानव पुुुत्र आया है।) तुम्हारा क्या विचाा है यदि किसी के पास एक सौ भेेड़ हों और उन में एक भी भटक जाए, तो क्या वह उन निन्य्यानबे भेड़़ों को पहाड़ी पर छोड़ कर उस भटकी हुई को खोज ने के लिए नहीं जायेगा ? और यदि वह उसे पाए , तो मैं विश्व्वास दिलाता हूं कि उसे उन निन्यानबेे की अपेक्षा , जो भटकी नहीं थी , उस भेड़ के कारण अधििक आंनद होोगा । इसी तरह मेरा पिता नहीं चाहता कि उन नन्ह में से एक भी खो जाएंं ।( संं त मती 18:11-14)
सामरी स्त्री और येसु मसीह (4:7-15)
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एक सामरी स्त्री पानी भरने आयी। ईसा ने उसे कहा, मुझे पानी पिला दो क्यों कि उनके शिष्य नगर में भोजन खरीदने के लिए गए थे। यहूदी लोग अनलोगोों से कोई संबंध नहीं रखते थे। इसलिए सामरी स्त्री ने येसु से कहा, यह क्या कि आप यहूदी हो कर भी मुझ सामरी स्त्री से पीने के लिए पानी मांगते हो? यीशु मसीह ने उत्तर दिया," यदि तुम ईश्वर का वरदान पहचानती, और यह जानती कि वह कौन हैं, जो तुम से कहता है_ मुझे पानी पिला दो तो तुम उसे मांगती और वह तुम्हें संजीवन जल देता" । स्त्री ने उन से कहा, महोदय ! पानी खींचने के लिए आप के पास कुछ भी नहीं है ,और कुंए भी गहरा है, तो आप को वह संजीवन जल कहां से मिलेगा? क्या आप हमारे पिता याकूब से भी महान है? यीशु ने उसे कहा ,जो यह पानी पीता है, उसे फिर प्यास लगेगी। जो जल मै उसे प्रदान करूंगा ,वह उसमें वह स्रोत बन जायेगा, जो आनंत जीवन के लिए उमड़ता रहता है। इस पर स्त्री ने कहा ,महोदय मुझे यह जल दीजिए, जिसे मुझे फिर प्यास न लगे और मुझे यहां पानी भरने न आना पड़े।( पार्ट-1)