" विनम्रता" ( प्रवक्ता ग्रंथ 3:19-21)

पुत्र ! नम्रता से अपना व्यवसाय करो और लोग तुम्हें दानशील व्यक्ति से भी अधिक प्यार करेंगे। तुम जितने अधिक बड़े हो उतने अधिक नम्र बनो। इस प्रकार तुम प्रभु के कृपा पात्र बन जाओगे। बहुत लोग घमंडी और ग्वाले हैं, किन्तु ईश्वर दोनों पर अपने रहस्य प्रकट करता है। प्रभु का सामर्थ्य अत्यधिक महान है, किन्तु वह विन्रम लोगों की श्रद्धांजलि स्वीकार करता है। ( आमीन) 

Comments

Popular posts from this blog

सामरी स्त्री और येसु (4:16-19)

ईश्वर की वाणी (वॉइस ऑफ गॉड) 26/01/2019-2 बजे आधी रात्रि मुझे सुनाई दी थी।

सामरी स्त्री और येसु मसीह (4:7-15)